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Gift of tongues jesus in Hindi अन्य भाषा का वरदान क्या है?

  अन्य भाषा का वरदान क्या है? | What is the Gift of Tongues? ✨ अन्य भाषा का वरदान ( Gift of Tongues) वह अलौकिक सामर्थ्य है जिसे पवित्र आत्मा द्वारा  प्रभु यीशु (jesus christ)के  विश्वासियों को दिया गया, जिससे वे ऐसी भाषाओं में प्रार्थना और आराधना कर सकते हैं जिन्हें उन्होंने पहले कभी सीखा नहीं। यह वरदान सिर्फ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई से परमेश्वर के साथ जुडने का ऑर  संवाद का एक माध्यम है। अगर आप इस ब्लॉग को पूरा पढ़ते है तो बाइबल मे छुपे इस रहास्य को समज ने मे आप को आसानी होगी आप प्रभु येशु को जन पाइगे तो चलिए जानते है  की Gift of tongues jesus in Hindi अन्य भाषा का वरदान क्या है? बाइबिल में लिखा है: “ जब वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, तब वे अन्य भाषा बोलने लगे जैसा आत्मा ने उन्हें बोलने के योग्य किया।” ( प्रेरितों के काम 2: 4) मुख्य बातें: यह वरदान आत्मिक सामर्थ्य और आत्मा से गहरे संबंध का प्रमाण है। यह आत्मिक वृद्धि, आत्मा की आराधना और परमेश्वर से प्रत्यक्ष संवाद का तरीका है। यह वरदान पवित्र आत्मा की उपस्थिति और अगुवाई को दर्शाता ह...

Jesus ने क्यू कहा की revival पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ ? जानिए सही अर्थ

Jesus ने क्यू कहा की revival पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ ? जानिए सही अर्थ 

✝️ "मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन" — जब मृत्यु खुद थरथराने लगी! ⚡💔

Jesus-ने-क्यू-कहा-की-revival-पुनरुत्थान-और-जीवन-मैं-हूँ?-जानिए-सही-अर्थ


जीवन और मृत्यु — ये सिर्फ दो शब्द नहीं हैं, ये इंसान के अस्तित्व का सबसे बड़ा रहस्य हैं।

कल्पना करो — एक घर शोक में डूबा है। चारों ओर रोने की आवाजें हैं।

एक भाई मर चुका है, चार दिन बीत चुके हैं, और अब शरीर से दुर्गंध आने लगी है।

सब कह रहे हैं — "अब कुछ नहीं हो सकता..."

लेकिन तभी किसी के कदमों की आहट होती है — वो आ रहा है जिसने कभी मौत को पराजित किया था।

प्रभु यीशु मसीह कब्र के पास खड़े होते हैं और कहते हैं — "मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन!"

ये शब्द सिर्फ दिलासा नहीं हैं, ये स्वर्ग का ऐलान हैं कि जीवन का मालिक आ गया है!

जब सबने हार मान ली, तब jesus ने केवल एक वचन कहा — "लाज़र, बाहर आ!"

और जो मरा हुआ था वो चलने लगा! हाँ, मृत्यु को भी प्रभु यीशु की आज्ञा माननी पड़ी!

क्योंकि वह सिर्फ जीवन देने वाले नहीं, स्वयं जीवन हैं!

अब सवाल ये है: क्या तुम इस जीवित प्रभु jesus पर विश्वास करते हो?

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लाज़र की कहानी: जब मौत भी हार गई! 🕊️

बहुत समय पहले, यहूदी नगर 'बैत-अनिया' में तीन भाई-बहन रहते थे — मरथा, मरियम और लाज़र। इन तीनों से प्रभु यीशु jesus गहरा प्रेम करते थे। वे अक्सर उनके घर पर रुकते, साथ भोजन करते और आत्मिक चर्चा करते थे। लेकिन एक दिन, इस घर में सन्नाटा छा गया। लाज़र बीमार पड़ गया — और वो भी इतनी गंभीर बीमारी कि मरियम और मरथा घबरा गईं। 😔

उन्होंने तुरंत एक दूत को यीशु के पास भेजा:
"हे प्रभु, जिसे तू प्रेम करता है, वह बीमार है।" (यूहन्ना 11:3)

लेकिन हैरानी की बात ये थी कि यीशु तुरंत नहीं गए। उन्होंने दो दिन और रुक कर अपने चेलों से कहा:
"हमारा मित्र लाज़र सो गया है, पर मैं उसे जगाने जा रहा हूँ।" (यूहन्ना 11:11)

चेले सोचने लगे, "सोया है तो ठीक हो जाएगा।" पर यीशु ने साफ़ कह दिया:
"लाज़र मर चुका है।" 😱

यीशु बैत-अनिया पहुंचे, तब तक लाज़र को मरे चार दिन हो चुके थे। गंध आने लगी थी। लोग रो रहे थे, मातम छाया हुआ था। जब मरियम ने यीशु को देखा, तो दौड़ती हुई आई और रोते हुए कहा:
"प्रभु, यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई मरता।" (यूहन्ना 11:32)

यीशु यह देखकर बहुत दुखी हुए, और वे भी रोए।
"यीशु रोए" — बाइबल की सबसे छोटी और सबसे शक्तिशाली पंक्तियों में से एक। (यूहन्ना 11:35) 😢

फिर वो लाज़र की कबर पर पहुंचे। ये एक गुफा जैसी थी, जिसमें बड़ा सा पत्थर लगा था।
यीशु ने कहा:
"पत्थर हटाओ!"
मरथा बोली: "प्रभु, चार दिन हो गए हैं, अब तो बदबू रही होगी।"

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लेकिन यीशु ने कहा:
"क्या मैंने तुझसे नहीं कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा देखेगी?" 🙌 (यूहन्ना 11:40)

लोगों ने पत्थर हटा दिया।
यीशु ने स्वर्ग की ओर देखा और प्रार्थना की, फिर ऊँचे स्वर में पुकारा:
"लाज़र, बाहर जा!" 📣

और तभी… सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं!
कफ़न में लिपटा हुआ लाज़र खुद अपने पैरों पर बाहर गया! 😮
मृत्यु पर जीवन की जीत हो गई थी। 🙏

यीशु बोले:
"उसे खोलकर जाने दो।" (यूहन्ना 11:44)

यह चमत्कार केवल जीवन देने का नहीं था, यह उस जीवनदाता की पहचान का ऐलान था।
प्रभु यीशु ने कहा था:
"मैं पुनरुत्थान (revival ) और जीवन (life) हूँ; जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मर जाए तो भी जीवित रहेगा।" (यूहन्ना 11:25)


सीख 🌟:
जब सब खत्म लगने लगे, जब मौत का साया छा जाए — तब भी यीशु की एक पुकार जीवन लौटा सकती है। बस विश्वास चाहिए।

क्या आप उस आवाज़ को सुनने को तैयार हैं जो कहती है:
"बाहर जा!"?
💖


📖 बाइबल: यूहन्ना 11:1-44 पढ़ें — और उस चमत्कार को खुद महसूस करें!

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⚖️ जीवन और मृत्यु के बीच का फर्क — एक अद्भुत रहस्य! ✝️🕊️


जीवन और मृत्यु — ये सिर्फ दो शब्द नहीं हैं, ये इंसान के अस्तित्व का सबसे बड़ा रहस्य हैं।

एक ओर जीवन है: धड़कनों की लय, साँसों की गर्माहट, रिश्तों की मिठास, और आशा की चमक।

दूसरी ओर मृत्यु है: मौन, ठहराव, और एक ऐसा विराम जिसे कोई टाल नहीं सकता।

लेकिन बाइबल के अनुसार, जीवन और मृत्यु का अंतर सिर्फ शारीरिक नहीं, आध्यात्मिक भी है।

मृत्यु केवल एक अंत नहीं है, वह एक दरवाज़ा है — जो या तो अनन्त जीवन की ओर खुलता है या अनन्त जुदाई की ओर।


✝️

प्रभु Jesus यीशु मसीह कहते हैं: 👦👉 "मैं हूँ पुनरुत्थान revival और जीवन; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।" — यूहन्ना 11:25


यानी जो सिर्फ सांस ले रहा है, वह जीवित नहीं कहलाता जब तक कि उसमें आत्मिक जीवन न हो —

और जो प्रभु में सो गया है, वह मरा हुआ नहीं, बल्कि अनन्त जीवन की तैयारी में है।


दुनिया कहती है, “जो मर गया, उसका अंत हो गया।”

पर यीशु कहते हैं, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा।”

मृत्यु से जीवन की ओर यह यात्रा सिर्फ वही कर सकता है, जिसने सच्चे जीवन के स्रोत को जान लिया है — और वह कोई और नहीं, प्रभु यीशु मसीह हैं।


जीवन और मृत्यु के बीच का यही अंतर है —

एक में सांसें होती हैं, और दूसरे में आशा।

एक में शरीर होता है, और दूसरे में आत्मा का उद्धार।

एक में दुनिया की चमक होती है, और दूसरे में स्वर्ग का अनन्त प्रकाश।

✝️ "मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन" — प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन की आशा ✨

परिचय: मृत्यु का अंत या एक नई शुरुआत?


क्या मृत्यु ही सब कुछ का अंत है? या यह एक नए जीवन का द्वार है? प्रभु यीशु मसीह jesus ने जब कहा —

“पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।” (यूहन्ना 11:25-26) —

तो यह सिर्फ एक वचन नहीं था, बल्कि मानव इतिहास को बदल देने वाला सत्य था।


इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि यीशु के इस अद्भुत वचन का गहरा अर्थ क्या है और यह आज हमारे जीवन में कैसे काम करता है।


✨ 1. वचन की पृष्ठभूमि: मार्था, मरियम और लाज़र की कहानी


यह वचन प्रभु यीशु ने उस समय कहा जब उनका प्रिय मित्र लाज़र मर चुका था।


जब यीशु वहाँ पहुँचे, मार्था ने कहा, “हे प्रभु! यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई न मरता।”


परन्तु प्रभु यीशु ने उस दुख में एक महा-सत्य को प्रकट किया:

“मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन।”



यह वचन यह दर्शाता है कि प्रभु यीशु मसीह केवल जीवन देने वाले नहीं हैं, बल्कि स्वयं जीवन और पुनरुत्थान के स्रोत हैं।



⚡ 2. ‘मैं हूँ’ का दिव्य अर्थ (I AM – Ego Eimi)


जब यीशु ने कहा “मैं हूँ” (I AM), उन्होंने मूसा को जलती झाड़ी में प्रकट हुए परमेश्वर की पहचान दोहराई (निर्गमन 3:14)।

इससे उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे केवल एक शिक्षक या भविष्यवक्ता नहीं, बल्कि स्वयं जीवित परमेश्वर हैं।


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❤️ 3. मृत्यु के पार जीवन: प्रभु यीशु की प्रतिज्ञा


♰♰यीशु मसीह की प्रतिज्ञा है:    

                                  > "जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह यदि मर भी जाए तो भी जीएगा।"


इस वचन में दुःख, मृत्यु और अस्थायी जीवन के पार एक उज्ज्वल आशा है — अनन्त जीवन!


यह एक आध्यात्मिक जीवन है जो यीशु मसीह में विश्वास द्वारा प्राप्त होता है।


यह भविष्य में पुनरुत्थान का वादा करता है, जब प्रभु फिर से आएंगे।



⛅ 4. पुनरुत्थान का प्रमाण: लाज़र की वापसी जीवन में


यीशु ने ना केवल वचन दिया, बल्कि उसे साबित भी किया:


उन्होंने कब्र से लाज़र को पुकारा:

“लाज़र, बाहर आ!”


और वह मृत चार दिन पुराना शरीर फिर जीवित हो गया!



➡️ यह मसीह की शक्ति और प्रभुता का जीवंत प्रमाण है कि मृत्यु भी उनके वश में है।



✝️ 5. प्रभु यीशु का स्वयं का पुनरुत्थान – सबसे बड़ी जीत!


तीन दिन क्रूस पर मरने के बाद, प्रभु यीशु मृतकों में से जीवित हुए।


इस पुनरुत्थान ने मृत्यु पर अंतिम विजय को सिद्ध किया।


यही मसीही विश्वास की नींव है:


> "यदि मसीह जीवित न हुआ होता, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ होता।" (1 कुरिन्थियों 15:17)


❤️‍🔥 6. आज के विश्वासियों के लिए संदेश


यदि हम अपने जीवन में यीशु मसीह को स्वीकार करते हैं, तो हम:


मृत्यु के भय से मुक्त होते हैं।


शांति और आशा से भरपूर जीवन जीते हैं।


अनन्त जीवन की आशा में चलते हैं।


> क्या आप इस वचन पर विश्वास करते हैं?

"क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?" (यूहन्ना 11:26)

यह प्रश्न आज भी हर व्यक्ति से पूछा जाता है।


✅ निष्कर्ष: आज ही निर्णय लें!


यीशु मसीह ने जो वचन दिया, वह आज भी उतना ही सच्चा है:

“मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन।”

यदि आप प्रभु यीशु पर विश्वास करते हैं, तो आप न केवल इस जीवन में पूर्णता पाएंगे, बल्कि मृत्यु के पार अनन्त जीवन भी प्राप्त करेंगे।


पवित्र बाइबल में उपयोग किए गए मुख्य वचन:


यूहन्ना 11:25-26  👦👇: 

 25 यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।
26 "और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?”


यूहन्ना 14:6👦👇:

यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।
"यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।”


1 कुरिन्थियों 15:17👦👇

17 "और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो।" हिन्दी bible 


1 थिस्सलुनीकियों 4:14👦👇

14 क्योंकि यदि हम विश्वास करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।


रोमियों 6:23👦👇

23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।


❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) — "मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन"


1. "मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन" का क्या अर्थ है?


उत्तर: यह वचन प्रभु यीशु मसीह ने यूहन्ना 11:25 में कहा था। इसका अर्थ है कि प्रभु यीशु मसीह ही अनन्त जीवन और मृत्यु पर विजय के स्रोत हैं। वे न केवल जीवन देते हैं, बल्कि स्वयं जीवन हैं।


2. प्रभु यीशु ने यह वचन किससे और कब कहा था?


उत्तर: प्रभु यीशु ने यह वचन मार्था से कहा था जब उसके भाई लाज़र की मृत्यु हो गई थी। यह घटना यूहन्ना रचित सुसमाचार के 11वें अध्याय में वर्णित है।



3. क्या यह वचन केवल शारीरिक मृत्यु के लिए है या आत्मिक भी?


उत्तर: यह वचन दोनों के लिए है —


आत्मिक रूप से: जो व्यक्ति प्रभु यीशु पर विश्वास करता है, वह आत्मिक रूप से जीवित रहता है।


शारीरिक रूप से: विश्वास करनेवाले पुनरुत्थान में भाग लेंगे और अनन्त जीवन पाएंगे।



4. क्या यीशु मसीह में विश्वास करने से मृत्यु से मुक्ति मिलती है?


उत्तर: हां, बाइबल सिखाती है कि जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करता है, वह अनन्त मृत्यु से बच जाता है और स्वर्ग में अनन्त जीवन प्राप्त करता है (यूहन्ना 3:16)।


5. क्या आज भी यीशु मसीह जीवन देने की सामर्थ्य रखते हैं?


उत्तर: हां, प्रभु यीशु आज भी जीवित हैं और अपने विश्वासियों को आध्यात्मिक रूप से नया जीवन प्रदान करते हैं। उन्होंने मृत्यु को हराया है और वह आज भी जीवन का स्रोत हैं।


6. क्या ये वचन केवल मसीहियों के लिए हैं या सभी के लिए?


उत्तर: प्रभु यीशु का यह वचन सभी मानव जाति के लिए है। जो कोई भी उन पर विश्वास करता है — वह चाहे किसी भी जाति, धर्म या पृष्ठभूमि से हो — अनन्त जीवन प्राप्त कर सकता है।



7. बाइबल में और कहां पुनरुत्थान की बात की गई है?


उत्तर:

1 थिस्सलुनीकियों 4:14

1 कुरिन्थियों 15:52

   रोमियों 8:11

    यूहन्ना 5:28-29


8. क्या मृत्यु के बाद जीवन संभव है?


उत्तर: जीसस प्रभु यीशु मसीह ने यह सिद्ध किया है कि मृत्यु के बाद जीवन संभव है। उन्होंने लाज़र को जीवित किया और स्वयं पुनरुत्थान के बाद जीवित प्रकट हुए। यह मसीही विश्वास की नींव है।


9. अगर मुझे यीशु में विश्वास करना है, तो मैं क्या करूं?


उत्तर: आप एक सरल प्रार्थना के माध्यम से jesus christ को अपने जीवन में स्वीकार कर सकते हैं, पश्चाताप करें, और उनका अनुसरण करें। बाइबल पढ़ें, प्रार्थना करें, और किसी विश्वसनीय मसीही संगति से जुड़ें। क्यू की  पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ jesus


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