JESUS ईसा मसीह baccho ke लिए bible vachan इन हिन्दी कुछ छोटे कदम... जो इतिहास बदल गए! 🧍♂️👣👧
कल्पना कीजिए…बीते भविष्य में उस समेय मे एक गर्म दोपहर का समय, सैकड़ों लोग एक असाधारण व्यक्ति के इर्द-गिर्द जमा होकर खड़े हैं। वह व्यक्ति बहुत सारे चमत्कार कर चुका है, ओर अनेकों रोगियों को ठीक कर चुका है, ओर से भी महत्वपूर्ण यह है कि वह मृतकों को जिंदा कर चुका है। लोग उसके हर शब्द को पकड़ना ओर सुनना चाहते हैं। ओर उनके दिखाए गए मार्ग पे उसके के पिछे चलना चाहते है।
और तभी... कुछ माएँ अपने छोटे बच्चों को लेकर उस आदमी व्यक्ति के पास आती हैं। चेहरों पर उम्मीद है, आंखों में विश्वास है। लेकिन अगला पल… सन्नाटा।
प्रभु यीशु के चेले उन बच्चों को दूर हटाने लगते हैं। भीड़ सोचती है – "ये तो साधारण बच्चे हैं, इन्हें क्यों आने दिया जाए?"और तभी, मसीह बोलते हैं — एक ऐसा वचन, जो न सिर्फ उस समय की सोच को पलट देता है, बल्कि पूरे स्वर्ग का द्वार खोल देता है!
"बच्चों को मेरे पास आने दो और उन्हें मत रोको, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है।"
— मरकुस 10:14
"बच्चों को मेरे पास आने दो" — यह वचन प्रभु ईसा मसीह ने तब कहा जब चेले बच्चों को उनके पास आने से रोक रहे थे। यह शब्द न केवल बच्चों के लिए प्रभु के असीम प्रेम को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि स्वर्ग का राज्य ऐसे ही लोगों का है। ✝️
more blog👧👉 :यीशु का प्रत्येक कोड़ा एक संदेश था
यीशु मसीह ने बच्चों को गोद में उठाकर baccho ke लिए bible vachan नो का आशीर्वाद दिया और यह दिखाया कि वह हर उम्र, हर वर्ग से प्रेम करते हैं। यह वचन आज हमें यह समझने में मदद करता है कि हमें बच्चों को आत्मिक रूप से प्रेरित करना चाहिए, ना कि उन्हें रोकना चाहिए।
इस ब्लॉग में जानिए:
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प्रभु यीशु (jesus) ने यह वचन कब और क्यों कहा?
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बच्चों के साथ उनका व्यवहार कैसा था?
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हम अपने बच्चों को यीशु के पास कैसे ला सकते हैं?
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क्या बच्चों के लिए भी आत्मिक जीवन संभव है?
आइए इस प्रेमभरे वचन को और गहराई से समझें और अपने बच्चों को भी प्रभु की उपस्थिति में लाएँ! 👨👩👧👦✨
बचपन से बुलाहट तक: भविष्यवक्ता यिर्मयाह और प्रभु यीशु का बच्चों से प्रेम
बाइबिल सन्दर्भ:
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यिर्मयाह 1:5 — "मैं तुझे गर्भ में रचने से पहले ही जानता था..."
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मरकुस 10:14 — "बच्चों को मेरे पास आने दो..."
1. ईश्वर की नज़र में बच्चा भी अनमोल है
जब एक बच्चा दुनिया में आता है, तब वह सबकी नज़र में एक नई शुरुआत होता है — लेकिन परमेश्वर jesus की नज़र में, वह पहले से ही जाना-पहचाना होता है। यही सच्चाई हमें भविष्यवक्ता यिर्मयाह के जीवन में दिखाई देती है।
यहोवा ने यिर्मयाह से कहा:
"मैं तुझे गर्भ में रचने से पहले ही जानता था, और जन्म से पहले ही तुझे पवित्र ठहराया; मैंने तुझे जातियों का भविष्यवक्ता नियुक्त किया।" — यिर्मयाह 1:5
सोचिए, एक छोटा बच्चा जिसे लोग शायद अभी कुछ समझने लायक न मानें, उसे परमेश्वर एक भविष्यवक्ता बना देता है। यिर्मयाह डरता है, घबराता है और कहता है — "हे प्रभु, मैं तो लड़का ही हूँ!"
लेकिन jesus यहोवा उसे समझाता है कि तू छोटा नहीं है, क्योंकि मेरी दृष्टि में तेरे अंदर सामर्थ है।
2. यीशु का बच्चों के लिए प्रेम और सम्मान
हजारों साल बाद जब प्रभु यीशु पृथ्वी पर आए, उन्होंने भी बच्चों को विशेष स्थान दिया। एक दिन जब लोग बच्चों को यीशु के पास ला रहे थे, तो चेलों ने उन्हें रोका। लेकिन यीशु ने उन्हें डांटा और कहा —bible vachan
"बच्चों को मेरे पास आने दो, उन्हें मत रोको; क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसे ही लोगों का है।" — मरकुस 10:14
यह केवल एक कोमलता भरा वाक्य नहीं था — यह एक गहरी आत्मिक सच्चाई थी। प्रभु कह रहे थे कि जिनके हृदय निष्कलंक, सरल और विश्वास से भरे हैं, वही परमेश्वर के राज्य के योग्य हैं।
3. यिर्मयाह और बच्चों का संदेश — परमेश्वर का बुलावा उम्र नहीं देखता
यिर्मयाह एक उदाहरण है कि परमेश्वर बच्चों को भी बुला सकता है, और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है। और यीशु ने यह प्रमाणित किया कि बच्चे सिर्फ खेलने या सिखाए जाने के पात्र नहीं हैं — वे ईश्वर के राज्य के लिए आदर्श हैं।
आज हम इस सच्चाई को समझें —
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यदि आप बच्चा हैं, तो परमेश्वर आपको जानता है।
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यदि आप अपने बच्चों को प्रभु के पास लाते हैं, तो वे एक दिव्य योजना में प्रवेश करते हैं।
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और यदि आप किसी बच्चे की आत्मिक परवरिश करते हैं, तो आप ईश्वर के कार्य में भागीदार हैं।
भावनात्मक निष्कर्ष:
यिर्मयाह की बुलाहट और यीशु का बच्चों को बुलाना — दोनों हमें यही सिखाते हैं कि बचपन कभी भी ईश्वर की योजना से बाहर नहीं होता। वह हर बच्चे को जानता है, प्रेम करता है, और बुलाता है।
इसलिए प्रभु आज भी कह रहे हैं —
"बच्चों को मेरे पास आने दो, क्योंकि उन्होंने ही मेरा राज्य पाया है, और उन्हें ही मैं उपयोग करूँगा।"
1. "बच्चों को मेरे पास आने दो..." — मरकुस 10:14 ✝️👶
"यीशु ने यह देखकर क्रोध किया और उनसे कहा, बच्चों को मेरे पास आने दो, और उन्हें मना न करो; क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसे ही लोगों का है।"
भावार्थ:
यह वचन केवल एक बुलावा नहीं, बल्कि एक घोषणा है —
बच्चे स्वर्ग के नागरिक हैं!
यीशु ने यह स्पष्ट कर दिया कि जो लोग बच्चों को प्रभु से दूर रखते हैं, वे स्वर्ग के मार्ग में बाधा डालते हैं।
यह हमें सिखाता है कि हर बच्चे को प्रभु की ओर लाना एक दिव्य ज़िम्मेदारी है।
2. "स्वर्ग में उनके दूत सदा मेरे पिता का दर्शन करते हैं..." — मत्ती 18:10 👼✨
"चेतावनी रखना कि तुम इन छोटे लोगों में से किसी को तुच्छ न समझो, क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि स्वर्ग में उनके दूत सदा मेरे स्वर्गीय पिता का मुख देखते हैं।"
भावार्थ:
हर बच्चे की आत्मा के लिए एक स्वर्गदूत नियुक्त है!
प्रभु के लिए बच्चे केवल शरीर नहीं, आत्मा हैं — जिन्हें स्वर्ग देखता है और संरक्षित करता है।
इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है?
3. "यदि कोई इस छोटे से एक बालक को मेरे नाम से ग्रहण करे..." — मत्ती 18:5 🫂🌟
"जो कोई मेरे नाम से एक ऐसे छोटे बालक को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है।"
भावार्थ:
यीशु खुद को बच्चों के साथ जोड़ते हैं —
बच्चों की सेवा = यीशु की सेवा
जब आप एक बच्चे को सिखाते हैं, प्यार करते हैं, या उसके लिए दुआ करते हैं, तो आप प्रभु के हृदय को छूते हैं।
4. "यदि कोई बालक के समान नम्र न हो..." — मत्ती 18:3 🧎♂️🕊️
"यदि तुम न फिरो और बच्चों के समान न बनो, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं पाओगे।"
भावार्थ:
बच्चों की नम्रता, विश्वास और निर्दोषता स्वर्ग की कुंजी है।
प्रभु यीशु केवल बच्चों को नहीं बुलाते, वे कहते हैं कि हमें भी बच्चों जैसे दिल रखने चाहिए।
5. "प्रभु से डर कर अपने बालकों को पालो..." — इफिसियों 6:4 👨👩👧👦📖
"और हे पिता, तुम अपने बच्चों को क्रोध दिलाने की बात मत किया करो, परन्तु प्रभु की शिक्षा और चितावनी के अनुसार उनको पालन-पोषण करो।"
भावार्थ:bible vachan इन हिन्दी
बच्चों की परवरिश केवल शारीरिक नहीं, आत्मिक भी होनी चाहिए।
प्रभु की दृष्टि में माता-पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है —
अपने बच्चों को परमेश्वर का डर और प्रेम सिखाना।
हर वचन प्रभु यीशु के असीम प्रेम, संवेदनशीलता और बच्चों के प्रति दिव्य दृष्टिकोण को प्रकट करता है।यीशु के लिए बच्चे केवल आने वाली पीढ़ी नहीं, बल्कि वर्तमान का आशीर्वाद और स्वर्ग की सीढ़ी हैं।
प्रभु यीशु का मासूम दिल — बच्चों के लिए खुला स्वर्ग का द्वार ✝️❤️👶
प्रभु ईसा मसीह का प्रेम कोई साधारण प्रेम नहीं है — वह एक अनंत और पवित्र प्रवाह है, जो बच्चों की मासूम आत्माओं की ओर निरंतर बहता रहता है। जब उन्होंने कहा, "बच्चों को मेरे पास आने दो," तो वह केवल उन्हें अपनी गोद में लेने नहीं बुला रहे थे — वे उन्हें स्वर्ग के सबसे गहरे रहस्यों में प्रवेश दे रहे थे।
यीशु के लिए बच्चे सिर्फ नन्हे मनुष्य नहीं थे, बल्कि वे स्वर्ग की झलक थे। उनकी मासूमियत, विश्वास और सरलता वह गुण हैं जिन्हें परमेश्वर अपने राज्य में सबसे ऊंचा मानता है। यही कारण है कि प्रभु ने उन्हें दुत्कारने वालों को डांटा और उन्हें गले लगाने वालों को अनंत आशीर्वाद दिया।
आज जब संसार बच्चों की आत्मा से अधिक उनकी उपयोगिता को देखता है, यीशु हमें याद दिलाते हैं —
"जो तुम इन छोटे जनों में से एक के साथ करते हो, वह तुम मेरे साथ करते हो।"
इसलिए, यदि हम प्रभु के करीब आना चाहते हैं —
हमें बच्चों की तरह बनना होगा, और बच्चों को प्रभु jesus के पास लाना होगा।
क्योंकि जब कोई बच्चा यीशु के चरणों में आता है —
पूरा स्वर्ग मुस्कुरा उठता है!,,,, bible vachan इन हिन्दी
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ❓📖
1. प्रभु यीशु ने बच्चों को अपने पास आने से क्यों नहीं रोका?
उत्तर: क्योंकि वे बच्चों की सरलता और विश्वास को परमेश्वर के राज्य के लिए उपयुक्त मानते थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वर्ग का राज्य ऐसे ही लोगों का है (मरकुस 10:14)।
2. क्या आज भी यीशु बच्चों से उतना ही प्रेम करते हैं?
उत्तर: हां, प्रभु यीशु का प्रेम कभी नहीं बदलता। वह आज भी हर बच्चे से उतना ही प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि बच्चे उनके साथ आत्मिक रूप से जुड़ें।
3. क्या बच्चों की आत्मा के लिए भी सुरक्षा का वादा है?
उत्तर: जी हां। बाइबल (मत्ती 18:10) बताती है कि हर बच्चे के लिए एक स्वर्गदूत नियुक्त है जो उनके लिए परमेश्वर के सामने सिफारिश करता है।
4. बच्चों को प्रभु यीशु के बारे में कैसे सिखाएं?
उत्तर: उन्हें बाइबल की कहानियाँ, प्रार्थना, और भजन सिखाकर, और खुद एक उदाहरण बनकर। बच्चों के साथ आत्मिक समय बिताना उन्हें यीशु के करीब लाता है।
5. क्या बच्चों की प्रार्थना प्रभु सुनते हैं?bible
उत्तर: बिल्कुल! बच्चों की प्रार्थना मासूम और विश्वास से भरी होती है, और प्रभु उसे विशेष ध्यान से सुनते हैं।
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